Dr Sushil Kumar

गौरी का आँचल

Last updated on Thursday, August 22nd, 2019

ढका बादलो ने 
चाँद को ऐसे 
प्रियतम की राह 
देखती गौरी जैसे 


माथे पर बिंदिया 
ऐसे दमके 
चाँद ऊपर तारा
जैसे चमके 


चांदनी रात में 
बादल ऐसे गहराए 
गौरी का आँचल 
जैसे बार बार लहराये 


बाद्ल बरसे 
बरसे ऐसे
माला के मोती 
हों जैसे बिखरे
हर बूंद लगती प्यारी 
प्रियतम को हो 
जैसे गौरी प्यारी

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