Last updated on Thursday, August 22nd, 2019
पूछा है ये सवाल
बार-बार
मेरे मन ने मुझसे
समुद्र सी गहराई
उठती हुई लहरो की
चंचलता है
तुम्हारे पास ?
बार-बार
मेरे मन ने मुझसे
समुद्र सी गहराई
उठती हुई लहरो की
चंचलता है
तुम्हारे पास ?
सोन्दर्य, यौवन से पूर्ण , भव्य
नदियो के मिलन
के बाद भी
अपने तल से
न उठने वाला
समुद्र जैसा
स्वाभिमान , है तुम्हारे पास ?
उजाले, अँधेरे को
समेटकर, परिवेश के प्राणियो से
समता का भाव रखने वाली
प्रकृति का प्रेम
है तुम्हारे पास ?
और में सदैव
इन सवालो से बचकर
आदमीयों के झुण्ड में
हो जाता हूँ विलय
जहाँ हर सवाल कि तस्वीर
लटका दी जाती है
दीवारो पर , सजावट के लिए
एक कोने में……
स्वयं नहीं , तुमको बताने के लिए
मात्र दिखावा………….
क्या है तुम्हारे पास ???
सुशील