Last updated on Thursday, August 22nd, 2019
मुमकिन है मेरे क़त्ल का हिस्सेदार होगा वो
पूछ ही लेंगे अबकी बार मेरी कब्र पे जब चिराग जलायेगा वो
बड़े अरमानो से दिल में सजाया था उसको
क्यों दर्द बनके आँखों से, आँसुओ में टपकता है वो
रह -रहकर याद आती है उसकी, दफ़न मेरे होने के बाद भी
अबके जब मिलेगा आँखों में कैद हो जायेगा वो
पूछ ही लेंगे अबकी बार मेरी कब्र पे जब चिराग जलायेगा वो
बड़े अरमानो से दिल में सजाया था उसको
क्यों दर्द बनके आँखों से, आँसुओ में टपकता है वो
रह -रहकर याद आती है उसकी, दफ़न मेरे होने के बाद भी
अबके जब मिलेगा आँखों में कैद हो जायेगा वो
खुदा करे कि आये ना तमाशबीनो को नज़र
काँधे पे लेके निकले शहर में जब मेरा जनाजा वो
(क)सुशील