सींचता हूँ मै, कुछ फूलो के पैड कुछ फूलो के पैड, लिए, इस उम्मीद में, कि फूल खिलेंगे मेरे आँगन में। होगा ना भेद-भाव किसी में , रंग-रूप अलग हो चाहे जितने, चलेगा पवन का झोका, जब भी, मिल बाटेंगे खुशबू ,सब पैड, मेरे इस आँगन में, आयेगी तितलियाँ, रंग-बिरँगी देखूँगा जिनको जी भर ...
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