दिखावा………क्या है तुम्हारे पास ???

पूछा है ये सवाल  बार-बार  मेरे मन ने मुझसे  समुद्र सी गहराई  उठती हुई लहरो की  चंचलता है  तुम्हारे पास ? सोन्दर्य, यौवन से पूर्ण , भव्य  नदियो के मिलन  के बाद भी  अपने तल से  न उठने वाला  समुद्र जैसा  स्वाभिमान , है तुम्हारे पास ? उजाले, अँधेरे को  समेटकर, परिवेश के प्राणियो से  ...
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दर्द भी अँधेरा भी

अब तो आदत सी हो गयी है , तुम बिन जीने की।  रिश्तो के दर्द भी, अंधेरो में पीने की।  हर शाम गिरता हूँ , उठता हूँ , कभी तेरी यादों में , कभी मयखानों से, हाल अच्छा है , रहने दे अभी , रंग कई देखने हैं बाकी, तेरी तस्वीर के अभी।  ढूँढता हूँ, ...
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आदर्श कुर्सी के पीछे

नेता कुर्सी पर जब सवार हो गया  तो , आदर्श कुर्सी के पीछे  टँग कर रह गया ।  कितना भ्रष्ट , असभ्य, धोखेबाज, ये नेता हो गया ।  घूस-खोरी, चापलूसी, दंगा-फसाद  नेता की , कर्तव्य- निष्ठा हो गया।  वाह रे ! अब तो देश के नेतृत्व का  आधार भी  इंसानो कि जात हो गया ।  ...
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The Surrender

समर्पण करना चाहता हूँ ,  तुमको  आँसू , वेदनाएँ  असहाए पीड़ा , भूख  ईर्ष्या-द्वेष  और रिश्तो में छिपायी हुई  नफरत, ठहाको के पीछे, खड़े , शोषण के विचार ।  मानसिक अपंगता, वैचारिक कुरूपता , के सिवाय मात्र, मिल गये थे जो , कुछ क्षण ।  एकांतवास के , आत्मचिंतन के, एक रूप के  प्रेम के ...
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Environment

जंगल उजाड़े पशु-पक्षी मारे अब धरोहर को मिटाना है । आधुनिकीकरण की राह में पर्यावरण उजड़ा अन्न उपजाऊ भूमि पर इमारतो का निर्माण सड़को के नाम पर लाखो-करोड़ों, पैड काटे यहाँ तक कि सभ्य कहने वाले व्यक्ति ने पक्षियों के हैं घर उजाड़े काश ! हे मनुष्य ! ये सब सत्य न होता, तो  पेड़ो ...
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मेरा शहर और दंगा

दर्द हवा में  और , घायल जिस्म जमीं पे पड़े हैं , कोई पत्थर, शायद किसी मंदिर -मस्जिद  को छुआ है ।  आज की शाम, दर्द -ऐ -हवा , रुक-रुक कर , बह रही है ,लगता है ,  राख में दबे शोलो को , पनाह दे रही है ।  तुम्हारा -हमारा घर भी , अगले ...
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दिल सीने में , दफ़न करके, यूँ कुछ गुजरा हूँ मैं…………”buried my heart in chest,” I would have gone…

जिंदगी ने यूँ तो मुझको , रोका है  हर मोड़ पर, दीवार बनके , “दिल सीने में , दफ़न करके,” यूँ कुछ गुजरा हूँ मैं, अक्सर तूफ़ान बनके ।  बने जख्मो के निशान  यूँ मिटा लेता हूँ ,  हर लम्हे पर , कुदरत कीं बेमोल हस्ती “माँ” को गले लगा लेता हूँ ।  सफर लम्बा ...
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University to Cinema Hall_ यूनिवर्सिटी से सिनेमा हॉल तक

आज फिर उन सभी की इच्छा रखने पर , मै पिक्चर देखने के लिए तैयार हो गया, फिर मन मै वो ही कशमश थी लेकिन जल्दी ही मेने उससे अपना पीछा छुड़ाया और उस सोच को पीछे धक्का देकर, आगे कि और दोस्तों के साथ निकल लिया। आज फिर पता था कि मेरा ये १०० ...
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ehsaas _Feelings

इस कविता में एक लड़का आठ -नौ  साल  का , जो  थका , भूखा सा एक  पुरानी लम्बी सी शर्ट और फटी हुई पैंट पहेने हुए फल बेच रहा है । वह जमीन पर अपनी फलो की टोकरी के साथ बैठा हुआ है । वह बड़े ही उत्साह से आने जाने वालो से प्रार्थना करता ...
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