Last updated on Thursday, August 22nd, 2019

Ref:pixabay
आधार प्रेम का
विशवास का कम ही होगा
वरना कभी ऐसा तो नहीं था
कि हमारे -तुम्हारे बीच के
फासले आज यूँ ही बढ़ गए
विरुद्ध हो गया हूँ
कई बार
स्वयं की विचार धाराओ से
सम्भवत कठिन होगा
इस बार
बाँध की अकस्मात् टूटी दीवारो से
धाराओं का बहाव रोकना
रिश्तो में पड़ी दरार
और गहरी होती खाई
प्रतिस्पर्धा की दौड़ में
मौन बेठी रही
काले बादलो के बीच
दौड़ती और कड़कड़ाती बिजली भी
संभवत रात भर
खाई भरने की कोशिश करती रही
खाई भरने की कोशिश करती रही