Last updated on Thursday, October 24th, 2019
समर्पण करना चाहता हूँ ,
तुमको
आँसू , वेदनाएँ
असहाए पीड़ा ,
भूख
ईर्ष्या-द्वेष
और रिश्तो में छिपायी हुई
नफरत,
ठहाको के पीछे,
खड़े ,
शोषण के विचार ।
मानसिक अपंगता,
वैचारिक कुरूपता ,
के सिवाय मात्र,
मिल गये थे जो ,
कुछ क्षण ।
एकांतवास के ,
आत्मचिंतन के,
एक रूप के
प्रेम के ।
समर्पण करना चाहता हूँ ,
तुमको, केवल तुमको ।
सुशील ………