समय की विवशता

Last updated on Monday, October 14th, 2019

इस राह से गुजरती है
बहुत सी बसे , कारे और दुसरे वहान
कितना मुशकिल है छोटी सी दूरी तय कर पाना उसके लिए
घंटो बीत जाते हैं इंतजार में
और यूँ ही जीवन
कौन रुकेगा उसके लिए और क्यों
सभी को अपना सफर तय करना है
और दुरीयां तय समय से कम मे हो
सभी चाहते हैं
फिर भी फांसलो और समय की विवशता क्यो जीवन में ?
मैं स्थिर हूँ वो गतिमान ये सापेक्षता
जीवन का आधार नहीं हो सकता
दूरियो को समय से नापना
एक संतुलन हो नही सकता
और समय चलता नहीं ,
बदलता है मानना होगा
मंजीलो के फांसले तय होगे ,
धीरज उसको धरना ही होगा

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