Last updated on Thursday, August 22nd, 2019
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शिशिर ऋतु तुम इतने निष्ठूर ना बनो
प्रेम समीर तो बहने दो
देखो अब प्रियतम भी ऊब गए हैं
धुप को आँगन में मेरे आने तो दो
चिड़ियाँ भी देखो तो बच्चो संग
कब से घोंसले में ही बैठी है
नन्हें बच्चो के पंख आने तो दो
हे ! शिशिर ऋतु तुम इतने निष्ठूर ना बनो
धुप को आँगन में मेरे आने तो दो
देखो तो पैड़ – लताये भी मुरझाये से खड़े हैं
भवँरो की गुंजन भी अब सुनती नहीं है
प्रकृति भी सहम सी गयी है
हे ! शिशिर ऋतु तुम इतने निष्ठूर ना बनो
धुप को आँगन में मेरे आने तो दो
धुप को आँगन में मेरे आने तो दो
सुशील कुमार