Dr Sushil Kumar

सौन्दर्यता

Last updated on Thursday, August 22nd, 2019

सौंदर्य, 
सौंदर्य से ही विलासिता 
जीवन का एकाकीपन 
और वैराग्यता 
सौन्दर्यता प्रकर्ति की 
स्त्री की सौन्दर्यता
रेगिस्तान में तपती रेत की 
पतझड़ में सूखे पत्तो की 
काले बादलो में 
दौड़ती बिजली की
सौन्दर्यता
घुंघरूओं  में खनखनाहट की 
रंग-बिरंगे फूलो में 
महकती खुशबू 
यौवन के उजाले में बिखरी 
सौन्दर्यता 
सूखे होठों पर 
जीवन गीत की
सौन्दर्यता
सौन्दर्यता एक अनन्त विस्तार 
सौन्दर्यता उज्जवल मन की 
आरम्भिक शब्दों की 
माँ , मातृभूमि के प्रेम की 
नन्हे बालक के 
मुस्काये होठो की 
“दोपहर में पत्थर तोड़ती “
लिखती कलम की 
सौन्दर्यता
क्षणिक वासना मात्र 
रूप यौवन की 
सौन्दर्यता
सहज, निर्मल स्वभाव की 
सौन्दर्यता
प्रभु , मानस प्रेम की 
शंखनाद और ओंकार की 
सौन्दर्यता
सौन्दर्यता जीवन है 
वाणी में है सौन्दर्यता
स्वीकार करने होने में है
सौन्दर्यता
सौन्दर्यता कण -कण में है 
प्रेम है सौन्दर्यता
उपहार है मानव जीवन को 
सौन्दर्यता
सौन्दर्यता है प्रकृती का आधार 
सौन्दर्यता है प्रकृती का आधार 
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