Holi 2020 aur होलिका दहन
Holi रंगो और मिलन का त्यौहार है | होलिका दहन रंगो वाली होली से एक दिन पहले हो जाता है | सभी का मन बड़े ही उत्साह से इस पर्व का इंतज़ार करता है | होलिका दहन का अपना एक शुभ मुहरत होता है और उसी समयावधि में होलिका की पूजा अर्चना puja archna के पश्चात उसको जला दिया जाता है | Holi 2020
आज के समय में holi 2020 केवल रंगो के साथ सिमट कर रह गयी है ऐसा नहीं है | आज भी लोग उसी आनंद के साथ नाचते और मस्ती करते हैं | भोजपुरी गाने आजकल यूट्यूब पर dj के साथ बजते हैं | holi 2020 song on dj और remix. रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे आज भी उसी खूबसूरती से बजता है |
अब रंगो में खुशबू आ गयी है , गुलाल सस्ता और महँगा होने की पहचान बनाने लगा है | बावजूद कितना भी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी का अंतर आया हो होली की मस्ती ज्यों की त्यों बानी हुई है |
होली के पीछे तीन मुख्य नाम है :
१.राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप
२. प्रहलाद, जो की राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र
३. होलिका, जो की राजा हिरण्यकश्यप की बहन है
और अंत में इस लोक के स्वामी विष्णु अपने नरसिंह अवतार में जो राजा हिरण्यकश्यप का वध करते हैं।
भारत जैसे विशाल देश में परम्पराये एक विधि विधान और प्रकर्ति के साथ समनव्य को साथ लेकर चलती हैं। होलिका दहन भी सामूहिक रूप से विभिन्न स्थानों पर एक समय पर होने वाली विशाल event है जिसका पृथ्वी के वातावरण पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यह अग्नि आस पास के वातावरण को साफ़ सुथरा और कीटाणु मुक्त करने में सक्षम होती है |
बचपन की होली 2020
मेरे बचपन की होली याद करते ही, ह्रदय बड़ा उत्साह और उमंग से भर जाता है, मन में अनेको विचार, रक्त में नयी ऊर्जा का जैसे संचार होने लगता है। दोस्तों की वो टोली जिसमे उम्र से बड़े और छोटे सबकी एक ही इच्छा बस हुड़दंग , केवल हुड़दंग। कई दिनों पहले हलकी शर्दियों की रात और अलाव के चारो और बैठकर होलिका दहन की नीतियां, कहाँ कहाँ से लकड़ियाँ काट कर लानी है और किस- किस गाने पर डांस होगा और किसको गोबर गैस के गड्ढे में डालना है किस को मशीन का काला तेल लगाना है और पता नहीं क्या- क्या।
होलिका दहन से पहले घर – घर जाकर चंदा माँगना, बिना किसी प्रैक्टिस के किसी पडोसी के घर में रखी ढोलक माँगना और बजा- बजा कर कभी तोड़ भी देना, बस ज्यादा से ज्यादा चंदा इकठ्ठा करना यही प्रयत्न रहता था। उद्देश्य मात्र इतना की किराए पर लॉउडस्पीकर लेकर आना, पतंगी कागज़ से बंदरवार पूरे मोहल्ले में टांगना और हर किसी को जब होली का दहन हो तो एक भूरे रंग की थेली में दो- दो बूंदी के लड्डू मिल जाएँ।
होलिका दहन से पहले लॉउडस्पीकर सायं काल से ही बजना प्रारम्भ हो जाता। सभी खाना खाकर जल्दी ही उस कॉमन जगह पर पहुँच जाते जहाँ दहन होना होता। बस फिर क्या, हर कोई अलग गाने बदलवाता की मुझे तो उस गाने पर नाचना है और उसकी पसंद का गाना रिकॉर्ड पर बजाया जाता। सब नाचते एक दूसरे की टाँग खींचते और बस क्या समझिये और बताइए की कितने डिस्को डांसर उस प्लेटफॉर्म पर हर साल तैयार होते।
होलिका दहन का समय हो जाता तो बड़े बुजुर्ग आकर रोकते की चलो भाई दहन का टाइम हो रहा है और सब के सब पसीने -पसीने होते, ऊपर चाँद अपनी पूरी रौशनी के साथ हर पसीने की बून्द को मोती सा चमकाता, और यकीं मानिये की ये चांदनी रात इतनी साफ़ होती की उसके उजाले में होली की खुबशुर्ति में चार चाँद लग जाते, चारो और से रंगीन बन्दवार, बड़े जनो की भीड़ और संगीत, बहुत ही उत्साह का दिन सभी के लिए।
फिर मोहल्ले के विशिष्ट व्यक्ति के हाथो होलिका को अग्नि दे दी जाती, चारो और घूमते बड़ी-बड़ी लपटों से बचते हुए एक और खड़े हो जाते। अब एक बड़े से थाल में अलग अलग सब उपस्थित लोगो को लड्डू बाटने होते, और उन लड्डू खाने का आनंद ही बस आप पूछिये मत। बच जाते तो सब मिलकर पुरे मोहल्ले में घर घर बाँट कर आते जो नहीं आ पाता था।
फिर सभी दोस्त जब तक होली (holi 2020) , जल कर राख में न बदल जाये उसके चारो और बैठे रहते , घर से बुलावे आने लगते तो धीरे- धीरे सुबह की मस्ती के प्लान बना कर सब चले जाते। सुबह ७ -८ बजे पूरी हल चल हो जाती, में अक्सर चुपके से जंगल-खेतो की और चला जाता, और आम के बाग़ जिसमे कूलम के पेड़, अमरुद के पेड़ होते थे बस वो वहां पर लेटना मुझको बहुत अच्छा लगता था।
कोयल, बोल बोलकर कभी परेशान करती तो कभी बिलकुल शांत हो जाता, उस शांति में जो फूलो से खुश्बू आती तो बस आत्मा उस बचपन में भी तृप्त हो जाती लेकिन वो मक्कार दोस्त जाने कैसे ढूंढ लेते और फिर होती मेराथन की दौड़, मै आगे वो पीछे बस अब दौड़ का अंत तो होना ही होता और वो सब उस हार का बदला लेते। वहां से साथ में आते अपने चारो और केले के पत्ते बांध लेते, खेतो से पूरी गोभी या मूली जड़ से उखाड़ लेते और हाथ में लेकर ऐसे चलते मनो रावण की सेना आ रही हो ।
घर घर जाते खूब धमाल और डांस करते, कोई गुंजियां तो कोई पकोड़े, लड्डू, बर्फियां और चाट मजे से खिलाते और आकर मंदिर में लेट जाते, फर्श पर पड़े रहते कई घंटो तक, सुख जाते तो होश आता और फिर कोई दूसरी टोली आ जाती तो फिर हंगामा फिर मस्ती.. दोपहर २ बजे तक सब शांत होता। थक कर सो जाते। शाम को आन जाना लगा रहता, रात तक रंगो की खुश्बू महसूस होती रहती। परिवार और पड़ोस के लोग कई दिनों तक चर्चा करते, और कई दिनों तक रंगो को उतारते रहते।
सारांश holi 2020
हर होली आगमन पर वो दिन याद आ जाते है, आज दोस्त दूर- दूर हो गए है, परिवार में अपनों की कमी हो गयी है, लोग-पडोसी बिछुड़ गए है, कुछ यादें रह जाती हैं, बचपन छोड़ना पड़ता है क्योंकि वक़्त के साथ हम बड़े हो जाते हैं। सुख-दुःख, रीती – रिवाज, त्यौहार आते हैं कभी बहार से तो कभी अंदर से अपने आपको रंगना पड़ता है। जीवन रंगहीन हो जाए तो जीने का आनंद भी नहीं रहता, समय के साथ -साथ जिस रंग से खेलने को मिले खेलते रहिये, अपने उत्साह-उमंग की खुश्बू मिलाते रहिये।
आपका रंग लोगो पर ऐसा चढ़े की वो उसकी खुश्बू से सरोबार रहे अपना जीवन आनंद के साथ व्यतीत करे। आप अपनी खुशियों का रंग लोगो के दुःख के रंग के ऊपर मिलाते रहिये उन पर खुशियों का रंग चढ़ाते रहिये। होली का और उसके रंगो का आनंद लेते रहिये। मै अपने उसी उत्साह और उमंगों के साथ होली खेलता रहूँगा और आपको शुभकामनाये भेजता रहूँगा।