THE MAGNIFICENT SUN TEMPLE AT KONARK ODISHA

It was 30th June 2015, when I visited the KONARK Sun temple again with curiosity to know more about the craving for stone. The magnificent Sun Temple at Konark is the culmination of Odisha temple architecture, and one of the most stunning monuments of religious architecture in the world. Built by the King Narasimhadeva in the ...
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How Quantum Mechanics helps in the Physical World : Part-1

I have explain that how microscopic world can effect the physical world on the basis of energy. On the other hand I can say that how a person can make resonance with the physical objects. In scientific language a person in this physical world sometimes behaves like a receiver and sometime as a transmitter of different frequencies. ...
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प्लेटफॉर्म

यूँ तो अक्सर सफर में छोटे बड़े प्लेटफार्म निकलते जाते हैं लेकिन रुक जाती हैं आँखे ये नज़र क्षण भर के लिए टाट -पट्टियों से लिपटे समाज पर शरीर के उभारो को छिपाती हुई संस्कृति पर सुखी हुई छाती से नंगे आडम्बर को दूध पिलाती हुई अवयस्क परम्परा पर बिखरे बालो को संवारती हुई पतझड़ ...
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तेरा शहर !

कुछ तो चाँद पहले से ही अँधेरे में निकला था  कुछ चाँदनी ने घूँगट ओढ़ लिया  कुछ तो पैर फैलाने के लिए पहले ही जगह कम थी, तेरे शहर में  कुछ मयख़ाने गमो से ज्यादा बढ़ने लगे  कुछ तो तेरे शहर में पहले ही भीड़ गूंगो की कम नहीं थी  कुछ बहरो ने हंगामा भी आज खूब कर ...
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विरहा

तुम बिन सावन सूना  सूना मेरे मन का कोना है  कोयल बोले , मनवा डोले  विरहा आग जलाती है  तुम रूठे, सपने टूटे  सावन भी कांटे चुभाता है  हरे -हरे सब घास पैड  हरियाली सब ओर छाई है  ये कैसा अबका सावन  क्यों मेरे घर आँगन में  पतझड़ छाई है 
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क्या नहीं इस जीवन में

हर्ष है , शोक है तृष्णा है तो तृप्ति भी है क्या कुछ नहीं है इस जीवन में संघर्ष है तो सफलताएं भी है घृणा है तो प्रेम भी है भीड़ है तो तन्हाईयाँ भी है तस्वीरें है तो यादे भी है बिछुड़ना है तो मिलना भी है सुखा है तो बरसात भी है रात ...
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दहशत

  अँधेरे रास्तो से    गुजरी जो एक परछायी  दरवाजे बंद हो गए  सहमा-सहमा सा आसमान सहमी -सहमी सी रात हो गयी        खौफ था आँखों में   घाव भी हरा था  ये फिर किसने  पत्थर फ़ेंक दिया   ये फिर किस घर के  टुकड़े -टुकड़े हो गए        तुम भी बिठालो ...
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वक़्त

कौन ठहरा है  वक़्त के सैलाब के आगे  जब भी कोई दौर गुजरा  एक खण्डर की पहचान दे गया 
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बचपन

  बचपन , खुशियों से भरा    कुछ रोना , कुछ हँसना  कुछ खाना , कुछ खेलना  दिन में सोना, रात में सोना  माँ की ममता  उसका फटकारना  लोरी सुनाना  जिद करना  तोड़ना -फोड़ना  चुटकी काटना , नाखून मारना  पानी के साथ खेलना  बरसात में नहाना  कागज़ की नाव चलाना  तितलियों को पकड़ना  कच्चे फल तोड़ना  ...
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